College students & beginners, start your part-time income while studying! No prior experience needed.
🎯 Join Now - Limited Seats!International Women’s Day 2025: भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने कहा है कि विकसित भारत के सपने को साकार करने के लिए लड़कियों को आगे बढ़ने के लिए बेहतर वातावरण मिलना आवश्यक है। उनको ऐसा वातावरण मिलना चाहिए जहां वे बिना किसी दबाव या डर के अपने जीवन के बारे में स्वतंत्र निर्णय ले सकें।
राष्ट्रपति ने कहा, हमें ऐसा आदर्श समाज बनाना है जहां कोई भी बेटी या बहन अकेले कहीं भी जाने या रहने से न डरे। महिलाओं के प्रति सम्मान की भावना ही भयमुक्त सामाजिक वातावरण का निर्माण करेगी। ऐसे वातावरण में लड़कियों को जो आत्मविश्वास मिलेगा वह हमारे देश को नई ऊंचाइयों पर ले जाएगा।
दुनिया भर में कार्यबल में महिलाओं की भागीदारी पुरुषों की तुलना में कम है। इसके साथ ही क्षेत्रीय असमानताएं भी अधिक हैं। विशेष रूप से मध्य-पूर्व, उत्तरी अफ्रीका और दक्षिण एशिया में महिलाओं की रोजगार दर पुरुषों से काफी कम है। भारत इसका प्रमुख उदाहरण है।
ग्रामीण क्षेत्रों में 25 से 60 वर्ष की महिलाओं की श्रम-बाजार भागीदारी दर 1980 में 54% थी, जो 2017 में घटकर 31% रह गई। हालांकि, पिछले पांच वर्षों में यह बढ़कर 50% तक पहुंच गई है। शहरी क्षेत्रों में यह गिरावट कम थी—26% से 24%, जो 2022 में बढ़कर 30% हो गई। मुख्य रूप से यह वृद्धि स्वरोजगार के कारण हुई है, न कि नियमित वेतन वाली नौकरियों के कारण। फिर भी, भारत में महिलाओं की कुल कार्यबल भागीदारी दर अन्य समान आय और शैक्षिक स्तर वाले देशों से पीछे है
यदि महिलाओं की मज़बूती और प्रगति के लिए संसाधन निवेश की मौजूदा गति पर नज़र डालें, तो 2030 तक 34 करोड़ से अधिक महिलाएँ और लड़कियाँ अत्यंत निर्धनता में जीवन जीने को मजबूर होंगी। ऐसे में जब पूरी दुनिया 8 मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के रूप में मना रही है, जिसका इस वर्ष का विषय “महिलाओं में संसाधन निवेश” है, तो यह ज़रूरी हो जाता है कि हम इस दिशा में उठाए जाने वाले ठोस कदमों पर विचार करें।
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने इस वर्ष के महिला दिवस पर अपने संदेश में कहा:
“पुरुष प्रधान व्यवस्था को समाप्त करने और वास्तविक समानता प्राप्त करने के लिए धन की उपलब्धता अनिवार्य है।”
उन्होंने ज़ोर दिया कि लैंगिक समानता और महिलाओं की आर्थिक स्वतंत्रता के लिए टिकाऊ विकास हेतु वित्तीय संसाधनों को बढ़ाना होगा, ताकि देश महिलाओं और लड़कियों के सशक्तिकरण के लिए आवश्यक निवेश कर सकें।
यूएन प्रमुख ने कुछ अहम मुद्दों की ओर ध्यान आकर्षित किया:
✅ महिलाओं के खिलाफ हिंसा को समाप्त करने के लिए ठोस नीतियाँ अपनाना।
✅ अर्थव्यवस्था, डिजिटल प्रौद्योगिकी, शांति निर्माण और जलवायु कार्रवाई में महिलाओं की भागीदारी और नेतृत्व को बढ़ावा देना।
✅ विकासशील देशों में 2030 के टिकाऊ विकास लक्ष्यों (SDGs) को पूरा करने के लिए हर साल अतिरिक्त $360 अरब की आवश्यकता।
✅ महिलाओं की संपत्ति और वित्तीय भागीदारी को बढ़ाना, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति सुदृढ़ हो सके।
✅ ऐसे संस्थानों का निर्माण करना जो सामाजिक कल्याण और टिकाऊ विकास में सार्वजनिक निवेश को प्राथमिकता दें।
महिलाओं को वित्तीय संसाधनों से जोड़ना न केवल उनकी बुनियादी जरूरतों को पूरा करने में मदद करता है, बल्कि उन्हें व्यवसाय शुरू करने और आगे बढ़ाने का भी अवसर देता है। लेकिन मौजूदा स्थिति यह है कि महिला-स्वामित्व वाले सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योगों (MSMEs) में 1.7 ट्रिलियन डॉलर की वित्तीय कमी बनी हुई है।
कर्ज़ अंतर को कम किया जाए, तो
यदि महिलाओं के स्वामित्व वाले छोटे और मध्यम उद्यमों के लिए वित्तीय सहायता उपलब्ध कराई जाए, तो वर्ष 2030 तक उनकी वार्षिक आय में औसतन 12% की वृद्धि हो सकती है।
Also Read: HP Patwari Recruitment 2024
केवल वित्तीय सहायता ही नहीं, बल्कि महिलाओं को भूमि, सूचना, प्रौद्योगिकी और प्राकृतिक संसाधनों की उपलब्धता भी सुनिश्चित करनी होगी।
वर्ष 2022 में 2.7 अरब लोगों के पास इंटरनेट सुविधा नहीं थी—जबकि यह आज के दौर में रोज़गार पाने और कारोबार करने के लिए एक बुनियादी जरूरत बन चुकी है।
कामकाजी महिलाओं की एक-तिहाई संख्या कृषि उद्योग से जुड़ी है, लेकिन 87 देशों के आंकड़ों के अनुसार, पुरुषों की तुलना में महिलाओं के पास भूमि के मालिकाना हक़ की संभावना बेहद कम है।
🌍 Himalayan Digital Solution - Your Trusted Service Provider
📚 Best For Students | Keep Learning, Keep Earning 💰
Explore Nowजब महिलाओं को संसाधनों तक समान पहुँच, मालिकाना हक़ और उनका स्वतंत्र प्रयोग करने का अधिकार मिलता है, तो वे:
✅ अपने जीवन स्तर और शिक्षा में सुधार कर सकती हैं।
✅ व्यवसाय शुरू कर आर्थिक स्वतंत्रता प्राप्त कर सकती हैं।
✅ आय पर अधिकार सुनिश्चित कर अपनी स्थिति को मज़बूत बना सकती हैं।
👉 महिलाओं के सशक्त होने से समाज में बड़े बदलाव आते हैं:
✔ लैंगिक हिंसा में कमी होती है।
✔ राजनीतिक और सामाजिक भागीदारी बढ़ती है।
✔ आपदा जोखिम प्रबंधन में सुधार होता है।
जब महिलाएँ रोज़गार की दुनिया में आगे बढ़ती हैं, तो वे अपनी स्वतंत्रता, अधिकारों और आर्थिक स्थिति को मजबूत कर सकती हैं। लेकिन सिर्फ कोई भी नौकरी उनके लिए सही नहीं हो सकती—बल्कि रोजगार ऐसा होना चाहिए जो:
✅ उत्पादक और रचनात्मक हो।
✅ स्वतंत्रता, समानता, सुरक्षा और गरिमा के साथ मिले।
📌 महिलाओं के रोज़गार की वास्तविक स्थिति:
🔹 वैश्विक स्तर पर 60% महिलाएँ अनौपचारिक अर्थव्यवस्था में कार्यरत हैं।
🔹 कम आय वाले देशों में यह दर 90% से भी अधिक है।
🔹 महिलाओं को पुरुषों की प्रत्येक $1 की कमाई के मुकाबले औसतन सिर्फ 80 सेंट ही मिलते हैं।
🔹 कुछ समूहों—जैसे काली, भूरी और मातृत्व की जिम्मेदारी संभालने वाली महिलाएँ—के लिए वेतन अंतर और भी अधिक होता है।
💡 रोज़गार में लैंगिक असमानता को कम करने के लिए ज़रूरी उपाय:
✔ वेतन पारदर्शिता लागू की जाए।
✔ समान मूल्य के काम के लिए समान वेतन दिया जाए।
✔ देखभाल सेवाओं (चाइल्ड केयर, पेड लीव) तक आसान पहुँच बनाई जाए।
✔ महिला उद्यमिता को बढ़ावा दिया जाए, ताकि वे नए रोजगार के अवसर उत्पन्न कर सकें।
📊 लाभ:
यदि दुनिया रोज़गार में लैंगिक अंतर को कम करे, तो वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में 20% तक की वृद्धि संभव है।
👩👧👦 देखभाल कार्य और महिलाओं की ज़िम्मेदारी
✅ हर इंसान को अपने जीवनकाल में देखभाल की ज़रूरत होती है, लेकिन इसका मौजूदा सामाजिक ढांचा महिलाओं और लड़कियों पर अतिरिक्त बोझ डालता है।
✅ महिलाएँ, पुरुषों की तुलना में तीन गुना अधिक अवैतनिक देखभाल और घरेलू कार्य करती हैं।
✅ यह शिक्षा, अच्छे वेतन वाले रोजगार, सार्वजनिक जीवन, आराम और अवकाश के अवसरों को सीमित करता है।
💰 देखभाल कार्य का वैश्विक आर्थिक योगदान:
📌 महिलाओं के अवैतनिक देखभाल कार्य का अनुमानित मूल्य 10.8 ट्रिलियन डॉलर प्रति वर्ष है, जो वैश्विक तकनीकी उद्योग के आकार से तीन गुना बड़ा है!
🔹 समाधान:
✔ देखभाल सेवाओं में निवेश करने से महिलाओं को वेतनयुक्त रोजगार मिलेगा।
✔ इससे ज़रूरतमंदों के लिए देखभाल सेवाएँ उपलब्ध होंगी और महिलाएँ अपना समय भी प्रबंधित कर पाएंगी।
✔ 2035 तक, देखभाल सेवाओं का विस्तार करने से 30 करोड़ रोजगार उत्पन्न होंगे।
⚠ महिलाओं की सुरक्षा से जुड़े बड़े खतरे:
📌 लिंग आधारित हिंसा, घरेलू और कार्यस्थल पर शोषण।
📌 खाद्य असुरक्षा और सामाजिक सुरक्षा की कमी।
📌 संघर्ष और आपदा के दौरान असमानताएँ और बढ़ जाती हैं – 2022 में टकराव से प्रभावित महिलाओं की संख्या 61 करोड़ 40 लाख तक पहुँच गई, जो 2017 की तुलना में 50% अधिक है।
💰 महिलाओं के खिलाफ़ हिंसा की वैश्विक लागत:
💸 कम से कम 1.5 ट्रिलियन डॉलर (वैश्विक GDP का 2%) होने का अनुमान।
🔹 समाधान:
✔ लैंगिक-संवेदनशील सामाजिक सुरक्षा योजनाएँ जैसे नकद हस्तांतरण (Cash Transfer), महिलाओं की मृत्यु दर को कम कर सकती हैं।
✔ सुरक्षा उपायों को लागू करना – सार्वजनिक और कार्यस्थलों पर सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए नीतियाँ बनाना।
✔ सामाजिक मान्यताओं को चुनौती देना, जो महिलाओं को आर्थिक रूप से पुरुषों से कमतर मानती हैं।
👩⚖️ महिलाओं के आर्थिक अधिकार क्यों ज़रूरी हैं?
✅ महिलाओं की आर्थिक मजबूती का मूल आधार उनके मानवाधिकार हैं।
✅ भेदभावपूर्ण सामाजिक मानदंड और पुरुष प्रधान आर्थिक प्रणालियाँ महिलाओं के अवसरों को सीमित करती हैं।
✅ महिलाओं को संपत्ति, सूचना, नेटवर्क, और रोज़गार परक कामकाज तक समान पहुँच नहीं मिलती।
📊 वैश्विक स्तर पर महिलाओं के कानूनी अधिकारों की स्थिति:
🌍 महिलाओं को औसतन केवल 64% कानूनी अधिकार ही प्राप्त हैं, जबकि पुरुषों को 100%।
📌 लैंगिक समानता के बिना आर्थिक विकास संभव नहीं – यह समाज और अर्थव्यवस्था के लिए एक बड़ा नुकसान है।
🔹 समाधान:
✔ महिला सशक्तिकरण के लिए नीतियाँ बनाना – भेदभावपूर्ण क़ानूनों को ख़त्म करना और महिलाओं के आर्थिक अधिकारों को मज़बूत करना।
✔ महिला मानवाधिकार रक्षकों की सुरक्षा – उनकी आवाज़ को सुना जाए और उनकी रक्षा की जाए।
✔ लिंग आधारित आँकड़ों का संकलन और अध्ययन – महिलाओं के अधिकारों के हनन का आलेखन करना और प्रभावी रणनीतियाँ बनाना।
✔ नीतिगत निर्णयों में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाना – राजनीति, प्रशासन और कॉर्पोरेट क्षेत्रों में महिलाओं की आवाज़ को मज़बूत करना।
🚀 निष्कर्ष:
महिलाओं के आर्थिक अधिकारों की रक्षा करना सिर्फ़ महिलाओं के लिए नहीं, बल्कि पूरे समाज और अर्थव्यवस्था के लिए भी लाभकारी है। जब महिलाएँ आर्थिक रूप से सशक्त होती हैं, तो वे अपने परिवार, समाज और राष्ट्र के विकास में महत्वपूर्ण योगदान देती हैं। इसलिए, समान अधिकार और अवसर देकर एक न्यायसंगत और समृद्ध भविष्य की ओर कदम बढ़ाना ज़रूरी है।
जब महिलाओं को संसाधनों तक समान पहुँच, मालिकाना हक़ और उनका स्वतंत्र प्रयोग करने का अधिकार मिलता है, तो वे:
✅ अपने जीवन स्तर और शिक्षा में सुधार कर सकती हैं।
✅ व्यवसाय शुरू कर आर्थिक स्वतंत्रता प्राप्त कर सकती हैं।
✅ आय पर अधिकार सुनिश्चित कर अपनी स्थिति को मज़बूत बना सकती हैं।
👉 महिलाओं के सशक्त होने से समाज में बड़े बदलाव आते हैं:
✔ लैंगिक हिंसा में कमी होती है।
✔ राजनीतिक और सामाजिक भागीदारी बढ़ती है।
✔ आपदा जोखिम प्रबंधन में सुधार होता है।
जब महिलाएँ रोज़गार की दुनिया में आगे बढ़ती हैं, तो वे अपनी स्वतंत्रता, अधिकारों और आर्थिक स्थिति को मजबूत कर सकती हैं। लेकिन सिर्फ कोई भी नौकरी उनके लिए सही नहीं हो सकती—बल्कि रोजगार ऐसा होना चाहिए जो:
✅ उत्पादक और रचनात्मक हो।
✅ स्वतंत्रता, समानता, सुरक्षा और गरिमा के साथ मिले।
📌 महिलाओं के रोज़गार की वास्तविक स्थिति:
🔹 वैश्विक स्तर पर 60% महिलाएँ अनौपचारिक अर्थव्यवस्था में कार्यरत हैं।
🔹 कम आय वाले देशों में यह दर 90% से भी अधिक है।
🔹 महिलाओं को पुरुषों की प्रत्येक $1 की कमाई के मुकाबले औसतन सिर्फ 80 सेंट ही मिलते हैं।
🔹 कुछ समूहों—जैसे काली, भूरी और मातृत्व की जिम्मेदारी संभालने वाली महिलाएँ—के लिए वेतन अंतर और भी अधिक होता है।
💡 रोज़गार में लैंगिक असमानता को कम करने के लिए ज़रूरी उपाय:
✔ वेतन पारदर्शिता लागू की जाए।
✔ समान मूल्य के काम के लिए समान वेतन दिया जाए।
✔ देखभाल सेवाओं (चाइल्ड केयर, पेड लीव) तक आसान पहुँच बनाई जाए।
✔ महिला उद्यमिता को बढ़ावा दिया जाए, ताकि वे नए रोजगार के अवसर उत्पन्न कर सकें।
📊 लाभ:
यदि दुनिया रोज़गार में लैंगिक अंतर को कम करे, तो वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में 20% तक की वृद्धि संभव है।
👩👧👦 देखभाल कार्य और महिलाओं की ज़िम्मेदारी
✅ हर इंसान को अपने जीवनकाल में देखभाल की ज़रूरत होती है, लेकिन इसका मौजूदा सामाजिक ढांचा महिलाओं और लड़कियों पर अतिरिक्त बोझ डालता है।
✅ महिलाएँ, पुरुषों की तुलना में तीन गुना अधिक अवैतनिक देखभाल और घरेलू कार्य करती हैं।
✅ यह शिक्षा, अच्छे वेतन वाले रोजगार, सार्वजनिक जीवन, आराम और अवकाश के अवसरों को सीमित करता है।
💰 देखभाल कार्य का वैश्विक आर्थिक योगदान:
📌 महिलाओं के अवैतनिक देखभाल कार्य का अनुमानित मूल्य 10.8 ट्रिलियन डॉलर प्रति वर्ष है, जो वैश्विक तकनीकी उद्योग के आकार से तीन गुना बड़ा है!
🔹 समाधान:
✔ देखभाल सेवाओं में निवेश करने से महिलाओं को वेतनयुक्त रोजगार मिलेगा।
✔ इससे ज़रूरतमंदों के लिए देखभाल सेवाएँ उपलब्ध होंगी और महिलाएँ अपना समय भी प्रबंधित कर पाएंगी।
✔ 2035 तक, देखभाल सेवाओं का विस्तार करने से 30 करोड़ रोजगार उत्पन्न होंगे।
⚠ महिलाओं की सुरक्षा से जुड़े बड़े खतरे:
📌 लिंग आधारित हिंसा, घरेलू और कार्यस्थल पर शोषण।
📌 खाद्य असुरक्षा और सामाजिक सुरक्षा की कमी।
📌 संघर्ष और आपदा के दौरान असमानताएँ और बढ़ जाती हैं – 2022 में टकराव से प्रभावित महिलाओं की संख्या 61 करोड़ 40 लाख तक पहुँच गई, जो 2017 की तुलना में 50% अधिक है।
💰 महिलाओं के खिलाफ़ हिंसा की वैश्विक लागत:
💸 कम से कम 1.5 ट्रिलियन डॉलर (वैश्विक GDP का 2%) होने का अनुमान।
🔹 समाधान:
✔ लैंगिक-संवेदनशील सामाजिक सुरक्षा योजनाएँ जैसे नकद हस्तांतरण (Cash Transfer), महिलाओं की मृत्यु दर को कम कर सकती हैं।
✔ सुरक्षा उपायों को लागू करना – सार्वजनिक और कार्यस्थलों पर सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए नीतियाँ बनाना।
✔ सामाजिक मान्यताओं को चुनौती देना, जो महिलाओं को आर्थिक रूप से पुरुषों से कमतर मानती हैं।
👩⚖️ महिलाओं के आर्थिक अधिकार क्यों ज़रूरी हैं?
✅ महिलाओं की आर्थिक मजबूती का मूल आधार उनके मानवाधिकार हैं।
✅ भेदभावपूर्ण सामाजिक मानदंड और पुरुष प्रधान आर्थिक प्रणालियाँ महिलाओं के अवसरों को सीमित करती हैं।
✅ महिलाओं को संपत्ति, सूचना, नेटवर्क, और रोज़गार परक कामकाज तक समान पहुँच नहीं मिलती।
📊 वैश्विक स्तर पर महिलाओं के कानूनी अधिकारों की स्थिति:
🌍 महिलाओं को औसतन केवल 64% कानूनी अधिकार ही प्राप्त हैं, जबकि पुरुषों को 100%।
📌 लैंगिक समानता के बिना आर्थिक विकास संभव नहीं – यह समाज और अर्थव्यवस्था के लिए एक बड़ा नुकसान है।
🔹 समाधान:
✔ महिला सशक्तिकरण के लिए नीतियाँ बनाना – भेदभावपूर्ण क़ानूनों को ख़त्म करना और महिलाओं के आर्थिक अधिकारों को मज़बूत करना।
✔ महिला मानवाधिकार रक्षकों की सुरक्षा – उनकी आवाज़ को सुना जाए और उनकी रक्षा की जाए।
✔ लिंग आधारित आँकड़ों का संकलन और अध्ययन – महिलाओं के अधिकारों के हनन का आलेखन करना और प्रभावी रणनीतियाँ बनाना।
✔ नीतिगत निर्णयों में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाना – राजनीति, प्रशासन और कॉर्पोरेट क्षेत्रों में महिलाओं की आवाज़ को मज़बूत करना।
🚀 निष्कर्ष:
महिलाओं के आर्थिक अधिकारों की रक्षा करना सिर्फ़ महिलाओं के लिए नहीं, बल्कि पूरे समाज और अर्थव्यवस्था के लिए भी लाभकारी है। जब महिलाएँ आर्थिक रूप से सशक्त होती हैं, तो वे अपने परिवार, समाज और राष्ट्र के विकास में महत्वपूर्ण योगदान देती हैं। इसलिए, समान अधिकार और अवसर देकर एक न्यायसंगत और समृद्ध भविष्य की ओर कदम बढ़ाना ज़रूरी है।
All Right Reserved Copyright ©hpgovtjob.com
Hello Aspriants,
What type of jobs or study material you are looking?
WhatsApp Us
🟢 Online | Privacy policy
Help