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  • क्या भारत 2047 तक ‘विकसित राष्ट्र’ बनने के लिए आवश्यक आर्थिक विकास दर (7.8%) बनाए रख पाएगा, जबकि वर्तमान विकास दर मात्र 6.5% अनुमानित है?
  • भारत को ‘मैन्युफैक्चरिंग हब’ बनाने की बात होती है, लेकिन वर्तमान में इसका योगदान जीडीपी में घटकर 15% से भी कम हो गया है। क्या यह लक्ष्य प्राप्त करना संभव है?
  • भारत में प्रति व्यक्ति वार्षिक आय लगभग 2.20 लाख रुपये है, जबकि विकसित राष्ट्र बनने के लिए यह 15.48 लाख रुपये होनी चाहिए। यह अंतर कैसे पाटा जाएगा?
  • देश में 81 करोड़ से अधिक लोगों को मुफ्त अनाज दिया जा रहा है। क्या इस तरह की नीतियां भारत की अर्थव्यवस्था को ‘विकसित राष्ट्र’ बनने से रोक सकती हैं?

हम रोज़ सुनते हैं कि भारत 2047 तक एक विकसित राष्ट्र बनेगा। प्रधानमंत्री मोदी और सरकार ने यह लक्ष्य तय किया है। सरकार और भाजपा-एनडीए इसे संकल्प के रूप में देख रहे हैं और जनता से भी इस सपने को पूरा करने का आह्वान किया जा रहा है। लेकिन क्या भारत इस दिशा में सही तरीके से आगे बढ़ रहा है? आइए, इसे सरल भाषा में समझते हैं।

भारत: ‘मैन्युफैक्चरिंग हब’ या ‘ट्रेडिंग देश’?

भारत का मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर (विनिर्माण, उत्पादन आदि) लगातार कमजोर हो रहा है।

  • इस क्षेत्र का GDP में योगदान 25% होना चाहिए था, लेकिन यह 15% से भी कम हो गया है।
  • मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में रोजगार के बड़े अवसर बनते हैं, लेकिन भारत इस क्षेत्र में पिछड़ता जा रहा है।
  • भारत ‘मैन्युफैक्चरिंग हब’ बनने के बजाय ‘ट्रेडिंग देश’ बनता जा रहा है।
  • चीन से आयात बढ़ रहा है, जो इस समस्या का सबसे बड़ा उदाहरण है।

भारत की आर्थिक स्थिति और विकास दर

अगर 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनना है, तो हमें लगातार 7.8% की सालाना आर्थिक विकास दर बनाए रखनी होगी।

  • लेकिन 2025-26 के बजट में 6.5% विकास दर का अनुमान लगाया गया है।
  • अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) का अनुमान भी यही है।
  • हकीकत में, यह 5% के आसपास रह सकती है, क्योंकि उत्पादन, मुद्रास्फीति और अन्य आर्थिक कारकों का सही आकलन बाद में ही किया जा सकता है।

प्रति व्यक्ति आय और खर्च करने की क्षमता

  • आज भारत की प्रति व्यक्ति सालाना आय करीब 2.20 लाख रुपये है।
  • विकसित देश बनने के लिए इसे 15.48 लाख रुपये तक पहुंचाना होगा।
  • भारत में 100 करोड़ लोगों के पास इतना अतिरिक्त पैसा नहीं है कि वे गैर-जरूरी चीजों पर खर्च कर सकें।
  • सिर्फ 10% भारतीयों के पास ही निरंतर खर्च करने की क्षमता है।
  • क्या भारत की अर्थव्यवस्था और GDP सिर्फ 10% लोगों के सहारे चल सकती है?

श्रम भागीदारी और आय असमानता

  • यदि भारत को विकसित देश बनना है, तो श्रम भागीदारी दर 65% या उससे अधिक होनी चाहिए।
  • लेकिन वर्तमान में यह 56.4% ही है।
  • आम आदमी की आय केवल 28% बढ़ी है, जबकि उद्योगपतियों और अमीरों की आय में 350% की बढ़ोतरी हुई है।
  • यह आर्थिक असमानता भारत का यथार्थ है, इसलिए हमें सतर्क रहने की जरूरत है।

बचत में गिरावट और आर्थिक चुनौतियां

  • भारत में बचत दर में भारी गिरावट आई है।
  • 2019-20 में कुल बचत 11 लाख करोड़ रुपये थी, जो 2024-25 में घटकर 6.52 लाख करोड़ रुपये रह गई है।
  • बेरोजगारी और महंगाई पर कोई ठोस नियंत्रण नहीं है।
  • शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्र में भी कोई बड़ी प्रगति नहीं दिख रही है।
  • भारतीय मुद्रा ‘रुपया’ लगातार गिर रहा है।

क्या मुफ्त योजनाओं से भारत विकसित बनेगा?

  • 81 करोड़ से ज्यादा लोगों को हर महीने मुफ्त अनाज दिया जा रहा है, और यह योजना 2029 तक जारी रहेगी।
  • यह बताता है कि अभी भी भारत की बड़ी आबादी आत्मनिर्भर नहीं हो पाई है।
  • मुफ्तखोरी की राजनीति लोगों को आलसी और निकम्मा बना रही है।
  • यह अर्थव्यवस्था को भी कमजोर कर रही है, जिससे भारत में कौशल और उत्पादन की कमी हो रही है।
  • आय-व्यय के समीकरण असंतुलित हो रहे हैं।

2047 तक भारत को क्या करने की जरूरत है?

अगर भारत को 2047 तक विकसित राष्ट्र बनना है, तो सरकार और जनता को कड़ी मेहनत करनी होगी।

  1. मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को मजबूत करना होगा, ताकि भारत केवल ‘ट्रेडिंग देश’ बनकर न रह जाए।
  2. रोजगार के अवसर बढ़ाने के लिए श्रम भागीदारी को 65% से अधिक करना होगा।
  3. शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्रों में बड़े सुधार करने होंगे।
  4. रुपये की गिरावट को रोकना होगा और निवेश को बढ़ावा देना होगा।
  5. मुफ्त योजनाओं की जगह कौशल विकास और रोजगार सृजन पर ध्यान देना होगा।
  6. बचत को बढ़ावा देना होगा, ताकि देश की आर्थिक स्थिरता बनी रहे।

निष्कर्ष

2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने का सपना सिर्फ नारे लगाने से पूरा नहीं होगा।

  • हमें मजबूत आर्थिक सुधारों, सही नीतियों और मेहनत की जरूरत है।
  • सरकार को पारदर्शी और निष्पक्ष डेटा देश के सामने रखना होगा, ताकि वास्तविक स्थिति जनता तक पहुंचे।
  • यदि भारत श्रम भागीदारी, उत्पादन, शिक्षा, स्वास्थ्य और आर्थिक असमानता को सही ढंग से सुधार सके, तभी यह लक्ष्य हासिल किया जा सकता है।
  • वरना 2047 तक ‘विकसित भारत’ का सपना एक नारा बनकर ही रह जाएगा।

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